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By , June 17, 2009 6:01 am

सामाजिक न्याय, समता एवं पारदर्शिता जैसे मूल्यों को आधार बनाते हुए इस संस्था की स्थापना 1985 में हुई । संस्था ने अपने कार्य की शुरूआत जयपुर जिले की दूदू पंचायत समिति से की। गांव के लोगों के साथ रिश्ते मजबूत हों, उनकी समस्याओं को निकट से समझ सकें एवं गांव के विकास में गांव के लोगों की साझीदारी जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर संस्था ने अपना मुख्य कार्यालय भी दूदू पंचायत समिति की ग्राम पंचायत श्रीरामपुरा के गांव शोलावता को चुना ।

दूदू पंचायत समिति जयपुर जिले के अन्तर्गत आती है। यह पंचायत विकास की दृष्टि से पिछडी हुई है। संस्था ने इन स्थितियों को ध्यान में रखकर शुरूआत में इसे कार्यक्षेत्र चुना॥

इन सब स्थितियों को ध्यान में रखकर संस्था ने दूरस्थ गांवों एवं वंचितों में भी सबसे अधिक वंचित को ध्यान में रखते हुए कार्य की शुरुआत की । संस्था प्रारम्भ करने से पूर्व समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र तिलोनिया में लगभग 15 साल तक कार्य करते हुए संस्था समन्वयक श्री लक्ष्मीनारायण जी समाज, सामाजिक व्यवस्था, लोगों के साथ काम करने के तरीकों को समझते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं पेयजल इत्यादि मुद्दों पर समझ बनाई। इन सब अनुभवों एवं समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र के समर्थन से क्षेत्र में कार्य की शुरुआत की गई।

इस क्षेत्र के गांववासियों की आजीविका मुख्यतः कृषि एवं पशुपालन पर आधारित है। अकाल एवं भूजल स्रोत का पानी खारा एवं अपर्याप्त होने से अधिकतर किसान वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर रहते हैं । वर्षा की अनिश्चितता की वजह से कृषि उत्पाद अक्सर बहुत कम होता है । परिणामस्वरूप लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है । जीवनयापन का वैकल्पिक उपाय पशुपालन (भेड़-बकरी) रहता है । इस कार्य में पूरा परिवार लगा रहता है । इस व्यवसाय के कारण गांव से परिवारों का गांव से पलायन चलता रहता है । इस व्यवस्था में बच्चों की पढ़ाई बहुत प्रभावित होती है, विशेषकर बालिकाएं ।

इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए संस्था ने अपने कार्य की शुरुआत शिक्षा से ही की विशेषकर कामकाजी बच्चों की शिक्षा । काम करते हुए स्पष्टतः समझ आ रहा था कि दूरस्थ गांवों में बच्चों की औपचारिक शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता अच्छी नहीं है । गांवों के विद्यालय में शिक्षक की नियमितता नहीं होना, शिक्षण कार्य में रूचि नहीं लेना इत्यादि कारण स्पष्टतः नजर आ रहे थे । संयोग से इन समस्याओं पर कार्य करने वाली शिक्षाकर्मी परियोजना इस पंचायत समिति में भी 1987 से शुरू हुई। संस्था ने इसे गांव की शिक्षा के लिए उपयुक्त पाया एवं इस परियोजना के साथ 1987 से जुड़कर कार्य किया। संस्था ने 17 गांवों में शिक्षाकर्मी विद्यालय एवं 50 गांवों में रात्रिशाला का संचालन किया। इन दो शिक्षा कार्यक्रमों ने समुदाय के साथ गहराई के साथ जुड़ने में मदद की। इन दोनों कार्यक्रमों में शिक्षक के रूप में स्थानीय युवक युवती ने काम किया। इससे यह बात और पुख्ता हुई कि गांव के लोगों में क्षमता है यदि मौका मिले एवं उनका पर्याप्त क्षमतावर्द्धन किया जाए तो अच्छे परिणाम दे सकते हैं।

इन बातों को ध्यान में रखते हुए संस्था ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कार्य किया। समुदाय में काम करते हुए विकास के अन्य बहुत से मुद्दे भी समझ आ रहे थे अतः संस्था ने शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य, रोजगार, पानी एवं सूचना के अधिकार जैसे मुद्दों को भी अपने एजेण्डे में शामिल किया ।

संस्था ने वर्तमान तक दूदू पंचायत समिति के 200 गांवों फागी पंचायत समिति के 3 व सांभर पंचायत समिति के 5 गांवों में विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से अपनी पहुंच बनाई है । इन परियोजनाओं में पानी का टैंक निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा, बालवाड़ी अथवा सोलर लाइट जैसे कार्य थे । संस्था का मानना है कि इस प्रक्रिया में गांव के लोग स्वयं अपनी समस्याएं पहचानने से लेकर समस्या समाधान की तरफ बढ़ने लगे एवं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो व साथ ही गांवों में समता, समाजिक न्याय व पारदर्शिता जैसे मूल्य पैदा हो ।

वर्तमान में संस्था को शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि मुद्दों पर कार्य करने के लिए समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र तिलोनिया, सीडा, पौकार फाउण्डेशन इत्यादि से आर्थिक सहयोग मिल रहा है । संस्था ने अभी सूचना का अधिकार, रोजगार गारंटी कार्यक्रम एवं न्यूनतम मजदूरी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गांवों में जागरूकता के कार्यक्रम किए हैं । इस मुद्दे पर संस्था मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र तिलोनिया के साथ मिलकर कार्य कर रही है। संस्था सम्पदा नेटवर्क ÷जो कि समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र के नेतृत्व में चल रहा है कि सदस्य है।

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