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By , July 13, 2009 6:48 am

गांव का विकास एवं इस विकास में जन भागीदारी को सुनिश्चित करना इसे गाँधीजी ने देश के विकास का एक मंत्र बताया था । इसी बात को ध्यान मे रखते हुए उनके द्वारा गा्रम गणराज्य गा्रम स्वराज जैसी बाते कही गई थी। गाँधीजी का मानना था गांव के लोग स्वयं अपने गांव के विकास की योजनाएं बनाएं, इसे क्रियान्वयन करें, अपने गांव की समस्याओं की पहचान करें एवं इन समस्याओं को स्वयं हल करने की तरफ बढ़े अर्थात गांव के लोग स्वयं सामर्थ्यवान बने। इस तरह का भारत सही मायनों में विकसित भारत होगा।

इन्हीं बातो को ध्यान में रखते हुए समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र ने 1970 के आस-पास अजमेर जिले के तिलोनिया जैसे एक छोटे से गांव से अपना कार्य प्रारम्भ किया। शुरूआत श्री संजीत राय बंकर, अरूणाजी जैसे लोगो ने की। इनका मानना था कि गांव के लोगों में अपार क्षमता है एवं यदि गाँधीजी के सपनो का भारत बनाना हे तो गांव के लोगो को अपनी क्षमता का उपयोग करते हुए सार्मथ्यवान बनाना होगा। यहीं से शुरू हुआ इस क्षेत्र के युवक-युवतियों का इस तरह की सोच के साथ जुडाव का। इस आंदोलन में लोग जुडते रहे एवं यहाँ सं सीखकर दूसरे क्षेत्रों में जाकर इस विचार को फैलाने लगे।

1972 में श्री लक्ष्मी नारायण जी जो कि उस समय युवावस्था में थे इस विचार के साथ जुडे एवं तिलोनिया में रहकर कार्य करने लगे। इस समय गावों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पीने के पानी इत्यादि की स्थिति खराब थी। दुरस्थ गांवों में तो और भी ज्यादा। लक्ष्मी नारायण जी को लग रहा था कि सभी मुद्दो पर काम तो जरूरी है परन्तु अपनी व लोगो की क्षमतावर्द्धन में बडी भूमिका शिक्षा की है। गांव के बच्चों की पहुँच प्राथमिक विद्यालय तक भी नहीं है। गांव में विद्यालय नहीं, विद्यालय है तो शिक्षक नहीं, शिक्षक है तो पढाते नहीं, यदि ये सब चीजे उपलब्ध है तो गरीबी की वजह से बच्चे भेड-बकरी चराने या मजदूरी में व्यस्त है। इन सब स्थितियों को ध्यान में रखकर श्री लक्ष्मीनारायणजी ने स्वयं बच्चो को पढाने के कार्य की शुरूआत की। इस प्रक्रिया में समुदाय को लगाातार जोडकर रखा गया। उनकी आवश्यकता एवं अनुभवों को ध्यान में रखते हुए इस विद्यालय मे कार्य किया। इसी समय संस्था के चार कार्यकर्ताओं ने भी इस तरह के कार्य अलग-अलग गांवों में किये। चुंकि इन लोगो ने विधिवत रूप से शिक्षक प्रशिक्षण नहीं लिया था। बच्चों की आवश्यकताओ से सीखने एवं संस्था कार्यकर्ताओं से इस मुद्दे पर चर्चा करते रहने एवं सीखने-सिखाने की प्रक्रिया ने इन्हें मजबूत शिक्षक के रूप में स्थापित कर दिया। इन विद्यालयो के परिणाम उत्साहित कर रहे थे। विभिन्न शिक्षाविदों द्वारा किये गये मुल्यांकनों ने भी इनकी उपलब्धियों पर अपनी मोहर लगाई। यही से सही मायनों में शिक्षाकर्मी परियोजना की शुरूआत हुई जो कि शिक्षा के क्षेत्र में सफल परियोजना मानी जाती है। इसी तरह के बहुत सारे प्रयोग समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र तिलोनिया में चल रहे थे। इन सबके साक्षी ही नहीं इनमे बहुत हद तक श्री लक्ष्मीनारायण जी शामिल भी रहे। संस्था ने इन कार्यों में सामाजिक न्याय, पादर्शिता, समता एवं गैर बराबरी जैसे मूल्यों को अपने हर स्तर पर पिरोया।

1985 में समाज कार्य एवं अनुसंधान केन्द्र के समर्थन से इस तरह के कार्यों को आगे बढाने के लिए दूदू पंचायतसमिति के शोलावता गांव में श्री लक्ष्मी नारायण जी के नेतृत्व मे प्रयत्न संस्थान की शुरूआत की।
संस्था ने वंचित वर्ग को केन्द्र में रखते हुए कार्य की शुरूआत की। इस क्षेत्र में भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, रोजगार जैसी समस्या मौजूद थी। शुरूआत शिक्षा एवं पानी के मुद्दो पर की। संस्था ने समाजकार्य एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा अपनाए गए मूल्यों को पूर्ण रूप से अपनाया। श्री लक्ष्मीनारायण जी की छवि इस संस्था में आने लगी। संस्था ने नवाचार को महत्व दिया परिणामस्वरूप रात्रिशाला, शिक्षाकर्मी परियोजना, टांके तालाब सौर उर्जा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों गांव वालों के साथ मिलकर कार्य प्रारम्भ होने लगे। यहां पर भी लक्ष्मीनारायण जी ने उत्साही, संवेदनशील एवं सकारात्मक सोच वाले युवक-युवतियों की मजबूत टीम बनाई। संस्था की क्षेत्र में लोगो के साथ, लोगो के लिए काम करने वाली संस्था की पहचान बन गई थी।

20 जून, 2004 को लक्ष्मीनारायण जी जीप द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे। अचानक सामने से आए एक द्रक ने जीप को टक्कर मार दी। इस दुर्घटना की वजह से एक प्रयोगधर्मी एवं सामाजिक न्याय को समर्पित व्यक्ति श्री लक्ष्मीनारायण हमारे बीच से चले गए। इनके निधन से ना केवल संस्था अपितु इस क्षेत्र में खालीपन पैदा हो गया। संकट की इस घडी से उबरने में उनके द्वारा उत्पन्न किए गए नेतृत्व की भावना एवं संस्था द्वारा अपनाए जा रहे मूल्यो ने मदद की।

संस्था कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजली देने का एक तरीका यह अपनाया कि संस्था सदा उनके द्वारा स्थापित मूल्यों पर कार्य करेगी एवं उनके द्वारा तय किए गए लक्ष्यों (वंचितों को केन्द्र में रखते हुए विकास) को ध्यान में रखेगी। श्री लक्ष्मीनारायण जी को इसी विनम्र श्रद्धांजली के साथ संस्था इसी दिशा में कार्य करने का प्रयास कर रही है ताकि उनके द्वारा देखे गए सपने पूरे करने की तरफ आगे बढ़ सके ।

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